ऐसे तो कहते फिरते हो बारम्बार , मुहब्बत है
अब वो सामने ही बैठी है बोलो यार,मुहब्बत है
सारी दुनिया जीत चुके हो बस इक दिल न जीत सके
दिल को जीता जा सकता है गर हथियार ,मुहब्बत है
काश कभी दिन ऐसा आये वो बस मेरे साथ मे हो
हाथ पकड़ के माथा चुम के हो इज़हार मुहब्बत है
वो तो रूठ के सो जाती हैं घण्टों तक मैं सोता नई
जितना चाहे ज़ुल्म करे वो लेकिन यार ,मुहब्बत है
तूने उससे इश्क़ किया था रस्ता रोक खड़ा है क्यों
रहने दे भई, जाने भी दे, आख़िरकार, मुहब्बत है
बीच भंवर में फंसा पड़ा है जाने कैसी उलझन में
एक किनारे ज़िम्मेदारी और उस पार मुहब्बत है
उस को देख के दिल घबराना नींद न आना बेचैनी
ये कोई बीमारी नई है, राम कुमार, मुहब्बत है
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