पहले क्या थे और अब क्या हो गए लोग
अपने कर्मों से तमाशा हो गए लोग
बंदगी पहले भी तो होती थी लेकिन
अब दुआओं से मसीहा हो गए लोग
इश्क़ भी करने नहीं देते करे क्या
तन्हा रहते रहते सहरा हो गए लोग
शाज़ तू भी उनके जैसा मत हो जाना
वो जो चिड़ने से धुआँ सा हो गए लोग
As you were reading Shayari by Meem Alif Shaz
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