कुछ भी नही तिर्याक बस तेरी जफ़ा का चाहिए
माल-ए-ग़नीमत में मुझे थोड़ा सा हिस्सा चाहिए
आसानियों से बे-वजह तारीक होता जाऊँगा
मुझ को चमकने के लिये थोड़ा अँधेरा चाहिए
इस रूह की तस्कीन को बाहर नही वो शख़्स पर
अब दरमियाँ अपने मुझे सारे का सारा चाहिए
अब हिज्र की तकलीफ़ को नासूर करना है मुझे
अब ज़ख्म यानी क़ल्ब पर भी और गहरा चाहिए
हासिल है वो हर एक को, पाना उसे आसान है
उस तक पहुँच ने के लिए पामाल रस्ता चाहिए
हर बार चुप रहने का मतलब सिर्फ़ चुप रहना नहीं
जो बे-तरह खामोश हैं उनको तमाशा चाहिए
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