दम तेरी इस बात में है क्या ?
सूखापन बरसात में है क्या ?
इश्क़ मुहब्बत ज़ाहिर करना
बस केवल अस्वात में है क्या ?
पल पल मुझ को जो खाते हैं
ऐसा उन लम्हात में है क्या ?
दिल की धड़कन रुक सकती है
ऐसा कुछ सौगात में है क्या ?
रुख़्सत तुझ को होते देखे
'आशू' इन हालात में है क्या ?
As you were reading Shayari by Aashish kargeti 'Kash'
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