"मुहब्बत" - Saurabh Chauhan 'Kohinoor'

"मुहब्बत"

मेरे आँसू कब ठिकाने लगेंगे
इन्हें रुकने मे ज़माने लगेंगे
तुझे चाहा था इस क़दर मैंने
ख़ुद को ही दिए ये दर्द मैंने
मेरी मुहब्बत तुझे क्यूँ रास न आई
इतना रोया की साँस तक न आई
दुआ है तेरी आँखों को भी कोई भाए
तू इज़हार करे और वो तुझे ठुकराए
तू इतनी रोये की तेरी आँखों का पानी सूख जाए
मेरी बद्दुआ है तुझे भी किसी से मुहब्बत हो जाए
मेरी तकलीफ़ तुझे तब समझ आएगी
तो रोना तो चाहेगी मगर रो नहीं पाएगी
अगर आँसू बहेंगे तो बेहिसाब बहेंगे
तू पोछती रहना मगर नहीं रुकेंगे
मुहब्बत ठुकराने का दर्द तब तू जानेगी
एक एक आँसू की क़ीमत तब तू पहचानेगी
दुआ करेगी मेरी हाथों से ये मुहब्बत के लकीरें ही मिट जाएँ
मेरी बद्दुआ है तुझे भी किसी से मुहब्बत हो जाए

- Saurabh Chauhan 'Kohinoor'
1 Like

More by Saurabh Chauhan 'Kohinoor'

As you were reading Shayari by Saurabh Chauhan 'Kohinoor'

Similar Writers

our suggestion based on Saurabh Chauhan 'Kohinoor'

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari