दिल में जो बात थी उस बात को कह सकते थे - Shajar Abbas

दिल में जो बात थी उस बात को कह सकते थे
तुम अगर चाहते हम साथ में रह सकते थे

इसलिए हमने बिछड़ने को ही बेहतर समझा
आपके और मज़ालिम नहीं सह सकते थे

आपको हज़रत-ए-दिल इल्म नहीं है इसका
आप तूफ़ान-ए-मुहब्बत में भी बह सकते थे

आज गर तैश में आ जाते शजर और साहिल
शहर के ऊँचे मकानात ये ढह सकते थे

- Shajar Abbas
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