भाई चारे का हसीं गुलदान होना चाहिए
अम्न से लबरेज़ हिंदुस्तान होना चाहिए
आज हर अहल-ए-नज़र हैरान होना चाहिए
हुस्न तेरा नज़्म का उनवान होना चाहिए
हिज्र के तूफ़ान हों या वस्ल की बरसात हो
मुतमइन हरदम दिल-ए-नादान होना चाहिए
दिल धड़क कर दे रहा है मेरे सीने में सदा
तुझको शहर-ए-हुस्न में मेहमान होना चाहिए
चुन रहे हैं बैठकर पलकों से हम फ़ुर्क़त के ख़ार
अब तो राह-ए-इश्क़ को आसान होना चाहिए
शाइरी से इश्क़ करने की ये पहली शर्त है
पास तेरे मीर का दीवान होना चाहिए
क़तरा-ए-शबनम लब-ए-अबरू की ज़ीनत बन गया
बज़्म-ए-अहल-ए-दिल में ये ऐलान होना चाहिए
मुझ से ये शाना हिलाकर कहता है मेरा ज़मीर
तेरे अन्दर भी कोई इन्सान होना चाहिए
इश्क़ से महरूमियत है बद-नसीबी की दलील
आपको इस बात का इरफ़ान होना चाहिए
हुस्न ख़ुद बे-ताब बैठा है नुमाइश के लिए
चश्म-ए-दिल को दीद का अरमान होना चाहिए
मैं भी करता हूँ शजर हक़-गोई करने का गुनाह
मेरी क़िस्मत में भी तो ज़िंदान होना चाहिए
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