है लम्हा लम्हा मिरा दिल ये बे-क़रार सनम - Shajar Abbas

है लम्हा लम्हा मिरा दिल ये बे-क़रार सनम
चले भी आओ कि हो ख़त्म इंतिज़ार सनम

दिल-ओ-दिमाग़ जिगर फ़िक्र हसरतें साँसें
लो हमने जिस्म किया आप पर निसार सनम

हयात बख़्शो मुझे या मुझे क़ज़ा दे दो
ख़ुदा ने तुमको दिया है ये इख़्तियार सनम

हाँ अपने दोस्तों के दरमियाँ में ऐसे हो
कि जैसे गुल हो कोई दरमियान-ए-ख़ार सनम

उठो कि इश्क़ की उन मंज़िलों पे जा पहुँचे
हो बज़्म-ए-आशिक़ी में अपना भी शुमार सनम

लगा लो मुझको जिगर के हसीन आँगन में
मैं इक शजर हूँ समर दार छाँव दार सनम

- Shajar Abbas
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