हमें ज़माने में मंज़र बहुत निराले मिले
कहीं अँधेरा मिला और कहीं उजाले मिले
ख़ुशी है इसकी मिले दोस्त बेशुमार हमें
मलाल इसका है सारे ही दिल के काले मिले
जब आया वक़्त मेरे हक़ में बोलने के लिए
जो बोलते थे ज़बानो पर उनकी ताले मिले
जो हक़ बयान करे उसका सर कलम कर दो
कुछ इस तरह से छपे शहर में रिसाले मिले
हमारे क़त्ल की जब छान-बीन पूरी हुई
हमारे ख़ूँ में मुलव्विज़ पड़ोस वाले मिले
किया कुछ इतना सफ़र दिल ने हिज्र के ग़म में
जो देखा दिल को तो दिल पर हज़ार छाले मिले
शजर को ले गईं हमराह आँधियाँ अपने
ज़बाँ पर सारे परिंदों के आह-ओ-नाले मिले
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