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हमें ज़माने में मंज़र बहुत निराले मिले - Shajar Abbas

हमें ज़माने में मंज़र बहुत निराले मिले
कहीं अँधेरा मिला और कहीं उजाले मिले

ख़ुशी है इसकी मिले दोस्त बेशुमार हमें
मलाल इसका है सारे ही दिल के काले मिले

जब आया वक़्त मेरे हक़ में बोलने के लिए
जो बोलते थे ज़बानो पर उनकी ताले मिले

जो हक़ बयान करे उसका सर कलम कर दो
कुछ इस तरह से छपे शहर में रिसाले मिले

हमारे क़त्ल की जब छान-बीन पूरी हुई
हमारे ख़ूँ में मुलव्विज़ पड़ोस वाले मिले

किया कुछ इतना सफ़र दिल ने हिज्र के ग़म में
जो देखा दिल को तो दिल पर हज़ार छाले मिले

शजर को ले गईं हमराह आँधियाँ अपने
ज़बाँ पर सारे परिंदों के आह-ओ-नाले मिले

- Shajar Abbas

Duniya Shayari

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