हुनर ये आज़माना चाहता हूँ
उसे मैं भूल जाना चाहता हूँ
उदासी छोड़ दे अब साथ मेरा
मैं थोड़ा मुस्कुराना चाहता हूँ
मुझे बस और बस वो चाहिए है
मैं कब सारा ज़माना चाहता हूँ
मिरे शाने पे अपने सर को रख दो
मैं यारों को चिढ़ाना चाहता हूँ
जो क़िस्मत में नहीं लिक्खी है मेरी
मैं वो हर चीज़ पाना चाहता हूँ
तिरी तस्वीर से तेरे ख़तों से
मैं कमरे को सजाना चाहता हूँ
तिरे प्यारे से दिल की सल्तनत में
मैं छोटा सा ठिकाना चाहता हूँ
तू मेरे ज़ब्त मेरा साथ देना
मैं अश्कों को छुपाना चाहता हूँ
लिखी हैं फूल पर जो ग़ज़लें मैंने
वो सब ग़ज़लें सुनाना चाहता हूँ
इजाज़त दो मुझे ऐ शाहज़ादी
मैं तुमसे दिल लगाना चाहता हूँ
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