नमू हो इश्क़ की अपने किरन आहिस्ता आहिस्ता
निगाहों का नज़र से हो मिलन आहिस्ता आहिस्ता
दुखन को कैसे करते हैं सुख़न आहिस्ता आहिस्ता
सिखा दूँगा तुम्हें ये सारे फ़न आहिस्ता आहिस्ता
पलट आ ऐ मेरे हमदम लबों से चूम ले इसको
मेरा मुरझा रहा है सब चमन आहिस्ता आहिस्ता
तुम्हारे लम्स से मिल जाएगी मुझको शिफ़ा याबी
मेरे रूख़सार पर रक्खो दहन आहिस्ता आहिस्ता
न करना अजनबी ख़ुद को तसव्वुर तुम मेरे घर में
तुम्हें महसूस होगा अपनापन आहिस्ता आहिस्ता
ये सच है थोड़ी दौलत आते ही कमज़र्फ लोगों का
बदल जाते हैं सब चाल-ओ-चलन आहिस्ता आहिस्ता
बढ़ा देंगे क़दम की इस क़दर रफ़्तार राहों में
पुकार उट्ठेगी पाँव की रसन आहिस्ता आहिस्ता।
नमू पहले हमारा माहताब-ए-ईद तो होवे
भरेगा फिर सितारों से गगन आहिस्ता आहिस्ता
सुनो वो मुस्कुराना छोड़ देंगे मेरा दावा है
मेरे रूख़ से हटाओ तो कफ़न आहिस्ता आहिस्ता
सदा-ए-क़ल्ब-ए-मुज़्तर है ज़हूर-ए-मेहदी हो जा
मुनव्वर होगा ख़ुशियों से ज़मन आहिस्ता आहिस्ता
शजर की दोस्तों रन में ज़रा आमद तो होने दो
बदल जायेगा गुलशन में ये रन आहिस्ता आहिस्ता
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