किसी की फ़ुर्क़त का ग़म उठाना मज़ाक़ नईं है मज़ाक़ नईं है
उदास होकर के मुस्कुराना मज़ाक़ नईं है मज़ाक़ नईं है
वो मेरा लख़्त-ए-जिगर है मुर्शिद वो मेरा दिल है वो मेरी जाँ हैं
है बात बिल्कुल हक़ीक़त आना मज़ाक़ नईं है मज़ाक़ नईं है
अभी तू आशिक़ नया है पागल सो मेरी बिल्कुल हिरास न कर तू
किसी को हिस्सा-ए-दिल बनाना मज़ाक़ नईं है मज़ाक़ नईं है
बहुत ही आसाँ हैं इश्क़ करना ये सच है हाँ मैं ये मानता हूँ
मगर इसे उम्र भर निभाना मज़ाक़ नईं है मज़ाक़ नईं है
'शजर' से मल्लाह कह रहा था सुनो 'शजर' बात तुम हमारी
भँवर से कश्ती को पार लाना मज़ाक़ नईं है मज़ाक़ नईं है
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