बोली मैं तेरा नाम लबों पर सजाऊँगी
बोली मैं तेरी ग़ज़लें जहाँ को सुनाऊँगी
पूछा जो मैंने क्या मुझे तुम भूल जाओगी
बोली नहीं शजर मैं नहीं भूल पाऊँगी
पूछा जो क्या करोगी भला चार साल बाद
बोली तुम्हारी याद में आँसू बहाऊँगी
पूछा सहेलियों को अगर ना-पसंद हूँ
बोली सहेलियों ही से मैं रूठ जाऊँगी
पूछा मेरे गुलाब का तुम क्या करोगी जान
बोली तेरा गुलाब मैं सिर में लगाऊँगी
पूछा करोगी क्या भला तस्वीर का मेरी
बोली मैं इनसे कमरे की रौनक़ बढ़ाऊँगी
पूछा अगर मैं मर गया तो क्या करोगी तुम
बोली ख़ुदा से तुमको शजर छीन लाऊँगी
पूछा अगर जो बेटा हुआ क्या करोगी तुम
बोली शजर उसे तेरे जैसा बनाऊँगी
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