नम आँखें ले के देखो तुमसे शिकवा करने आया हूँ
मैं ऐसे अपने दिल का बोझ हल्का करने आया हूँ
क़बीले से तुम्हारे आज रिश्ता करने आया हूँ
तुम्हारे दिल की लो पूरी तमन्ना करने आया हूँ
मैं अपना हाल लेकर आ गया हूँ बर सर-ए-महफ़िल
मगर यारों को लगता है तमाशा करने आया हूँ
अधूरा रह गया था जो मोहब्बत का सनम सज्दा
मुकम्मल आज मैं वो वाला सज्दा करने आया हूँ
बड़ी मासूमियत से मुस्कुराकर मुझसे वो बोला
तुम्हारे कर्या-ए-दिल पर मैं कब्ज़ा करने आया हूँ
परिंदों के दिलों में जो क़फ़स का सुन तहाशा है
दिलों से दूर वो इनके तहाशा करने आया हूँ
तुम्हारे शहर में जो जो मोहब्बत के मुख़ालिफ हैं
मैं उन लोगों के नामों का ख़ुलासा करने आया हूँ
मैं पहले अपनी कोशिश करके हारा था मुक़द्दर से
तो जो क़िस्मत में लिक्खा है मैं वैसा करने आया हूँ
तुम्हारी ज़िद थी जानाँ मैं तुम्हारी डोली पर आऊँ
तुम्हारी आख़िरी लो ज़िद को पूरा करने आया हूँ
जो ग़लती की है मैंने जाने अनजाने में दुनिया में
ख़ुदा से आज उस ग़लती की तौबा करने आया हूँ
तुम्हारी राहों से काँटें हटा कर मेरी शहज़ादी
तुम्हारा पुर-ख़तर आसान रस्ता करने आया हूँ
सुनो ऐ बे-वफ़ा लड़की तुम्हारी याद में रो कर
मैं अपने अश्कों से तर सारा सहरा करने आया हूँ
तुम्हारी माँग भरकर बर सर-ए-महफ़िल मता-ए-जाँ
मुकम्मल मैं मोहब्बत का फ़साना करने आया हूँ
कोई आशिक़ सदा देता है बाज़ार-ए-मोहब्बत में
ख़रीदारों ख़रीदो दिल का सौदा करने आया हूँ
शजर मुझको मेरे अपनों ने जलती धूप में रक्खा
मगर मैं इन सरों पर अपना साया करने आया हूँ
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