मैं तो एहसास हूँ तेरा मैं किधर जाऊँगा - ALI ZUHRI

मैं तो एहसास हूँ तेरा मैं किधर जाऊँगा
तेरे हिस्से का तेरे पास ठहर जाऊँगा

मैं के दीवाना हूँ पागल भी हूँ आवारा भी
शब-ए-अफ़्सुर्दा में काजल सा बिखर जाऊँगा

ज़िंदगी तेरी तमन्न्ना का सफ़र समझा है
तू जहाँ से भी कहेगी मैं गुज़र जाऊँगा

मैनें सोचा था तेरे दिल में उतर जाने का
कब ये सोचा था कि दिल से ही उतर जाऊँगा

अपने पहलू में पड़ा रहने दे आज़ाद न कर
तेरे पहलू में रहूँगा तो सँवर जाऊँगा

वैसे तो इश्क़ दुबारा से नहीं करना मुझे
हाँ अगर करना हुआ तुझसे ही कर जाऊँगा

तुमने मुझको जो ये शीशे का बना डाला है
देखना टूट के हाथों में बिखर जाऊँगा

- ALI ZUHRI
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