अपनी हालत का बुरा हाल किए बैठा हूँ
मैं उदासी को जवानी भी दिए बैठा हूँ
तेरी यादों में मुझे होश कहाँ रहता है
कोई देखे तो ये समझे के पिए बैठा हूँ
ज़िंदगी है मेरी ज़ख़्मों की कहानी जानाँ
साया-ए-दर्द में इक उम्र जिए बैठा हूँ
दोस्ती इश्क़ मोहब्बत हैं रिवाजों के चलन
कितने रिश्तों का भरम दिल में लिए बैठा हूँ
कैसे हाथों की लकीरें भी बदल जाती हैं
ये तजुर्बा भी कहानी का किए बैठा हूँ
अब तो आ जाए मेरी मौत मुझे लेने को
अब तो मैं जान हथेली पे लिए बैठा हूँ
ख़ुद को खोकर के मिला है मुझे ज़ुहरी का पता
अपने अंदर में अजब शख़्स लिए बैठा हूँ
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