सही सही बता है क्या
भला है क्या बुरा है क्या
न इश्क़ है न चारागर
तो दर्द की दवा है क्या
लहू सा लाल लाल है
ये आँखों में जमा है क्या
बुझे बुझे से लोग हैं
ये ज़िंदगी सज़ा है क्या
अजीब कशमकश सी है
ये दिल तुझे हुआ है क्या
सुकून हो न चैन हो
तो जीने में मज़ा है क्या
जो ख़ाक हो रहे हैं हम
किसी की बद्दुआ है क्या
जला दिया तो जल गया
ये जिस्म बे-वफ़ा है क्या
बहक रहे हैं देख कर
बदन तेरा नशा है क्या
हर एक शय मलंग है
बहार में अदा है क्या
उसी की आरज़ू है क्यों
तमाम वो ख़ुदा है क्या
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