सब कुछ हमें ख़बर है नसीहत न दीजिए
हम हैं फ़कीर हमको हुकूमत न दीजिए
ज़िंदा रहे तो आपने पूछा कभी न हाल
अब क़ब्र में पड़े हैं ज़ियारत न दीजिए
धड़कन थमी हुई है तबीयत ख़राब है
लाएँ दवा कहाँ से अज़ीयत न दीजिए
सबके नसीब में नहीं होती मोहब्बतें
मरते हुए को आप मोहब्बत न दीजिए
हम सब्र कर रहे थे मगर तुम नहीं मिले
अल्लाह तन्हा जीने की आदत न दीजिए
जो लोग कह रहे हैं ख़सारा है इश्क़ में
उनको वफ़ा के शहर में इज़्ज़त न दीजिए
सब ग़लती माफ़ उसको मगर शिर्क तो नहीं
मौला गुनाहगार को जन्नत न दीजिए
भटके हुए को कौन भला रोक पाएगा
ऐसे मुसाफ़िरों को हिदायत न दीजिए
'अफ़ज़ल' गुनाह करते हुए डर नहीं लगा
मालिक इसे कभी भी इमामत न दीजिए
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