ये चाँद जो हसीन रात में निकल नहीं रहा - Ankit Yadav

ये चाँद जो हसीन रात में निकल नहीं रहा
तो क्या ये उसके साथ करवटें बदल नहीं रहा

वो जिस्म आग है मगर ये सोचने की बात है
मैं छू के आ रहा हूँ मेरा जिस्म जल नहीं रहा

मेरी नज़र को ऐसे ख़्वाब दे कि जिसमें वो न हो
मुझे वो दिल दिखा जहाँ वो ख़्वाब पल नहीं रहा

अजीब दोस्त है जो दस बजे के बाद फोन पर
बुला रहा है और मेरे साथ चल नहीं रहा

इक ऐसा एक्सपेरिमेंट है महाज़-ए-इश्क़ जो
बहुत किया गया मगर कभी सफल नहीं रहा

कोई बदन नहीं कि जिसके इश्क़ में हवस न हो
कोई जगह नहीं जहाँ ये खेल चल नहीं रहा

- Ankit Yadav
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