रो के कुछ देर सँभल जाते हैं - Anjali Sahar

रो के कुछ देर सँभल जाते हैं
अश्क उदासी को बहा लाते हैं

बात दिल की नहीं कह पाती ज़बाँ
अश्क बरवक़्त चले आते हैं

हमें मालूम नहीं कुछ भी अभी
है किधर और किधर जाते हैं

दाइमी दुख नहीं होता कोई
ज़ख़्म कैसे भी हों भर जाते हैं

दिल में बसते हैं ग़मों के आसेब
और नग़्में ख़ुशी के गाते हैं

इस जहाँ की है यही रीत सहर
लोग आते हैं चले जाते हैं

- Anjali Sahar
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