प्रेम के राग को गुनगुनाते रहे - Jitendra "jeet"

प्रेम के राग को गुनगुनाते रहे
हम तुम्हें तुम हमें याद आते रहे

प्रेम से वो मुसव्विर तो तस्वीर में
रंग भरता रहा हम भराते रहे

मुझको मालूम था छोड़ कर जाएंगे
फिर भी रिश्ते दिलों के निभाते रहे

इक़ तेरे बाद कोई रुका ही नहीं
लोग आते रहे लोग जाते रहे

- Jitendra "jeet"
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