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दिल की दिल में दबी रह गई और क्या अब कहा जाएगा - kirti

दिल की दिल में दबी रह गई और क्या अब कहा जाएगा
वो जो पूछें तो क्या हर्ज़ है खोलकर दिल रखा जाएगा

ज़िंदगी की सज़ा ज़िंदगी एक लंबी उमर कै़द है
शौक़ मरने का पाले हुए ज़िंदगी को जिया जाएगा

उंगलियों में दबोचे कफ़न जल रहा है मरीज़-ए-सुख़न
बुझते-बुझते शमा-ए-अलम जाने क्या-क्या जला जाएगा

ये है दुनिया अज़ीमी दुकाँ , हर किसी का कोई दाम है
ये उदासी भी बिक जाएगी हमको शायर कहा जाएगा

ना वफ़ा की तवक़्क़ो हमें ना जफ़ाओं का ही सोग़ है
जिनको दिल में रखा है अदम उनका सजदा किया जाएगा

क्यों पिलाते हो ख़ून-ए-जिगर बाद पछताओगे चारागर
ठीक होकर मरीज़-ए-सफ़र अपने घर को चला जाएगा

सब्ज़ लफ़्ज़ों में क्या था छिपा कीर्ति हमको मालूम था
दाद देते रहे दर्द पर , शौक़ दर्दों को खा जाएगा

- kirti

Dil Shayari

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