हर किसी से हम अपनी दास्ताँ नहीं कहते

  - Kinshu Sinha

हर किसी से हम अपनी दास्ताँ नहीं कहते
लोग हैं जहाँ, कुछ भी हम वहाँ नहीं कहते

‛दादी माँ’ हमेशा रो के पुकारते हैं हम
आप ही उधर से इक बार ‛हाँ ’ नहीं कहते

पाँव छू तो लेते हैं हम बहुत से लोगों के
दादी कहते हैं लेकिन ‛दादी माँ’ नहीं कहते

आप जो गए, आवाज़ें चली गईं, घर अब
क़ब्रगाह है, इसको आशियाँ नहीं कहते

हम तो खूब रोएँगे आपसे मिलेंगे तो
‛किंशु’ की वफ़ा को यूँ राएगाँ नहीं कहते

  - Kinshu Sinha

More by Kinshu Sinha

As you were reading Shayari by Kinshu Sinha

Similar Writers

our suggestion based on Kinshu Sinha

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari