पिता को ये बताना चाहता हूँ

  - Harsh Kumar Bhatnagar

पिता को ये बताना चाहता हूँ
गले उन को लगाना चाहता हूँ

कमाई देखते हो सिर्फ़ मेरी
मैं तुमको याद आना चाहता हूँ

बदन नार-ए-जहन्नम से है झुलसा
रजब में अब नहाना चाहता हूँ

मुझे तू भीख में काँटे अता कर
गुलों का ख़ूँ बहाना चाहता हूँ

मिरा कासा दुआओं से भरा है
मैं तो पैसा कमाना चाहता हूँ

  - Harsh Kumar Bhatnagar

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