रंग होली का ख़ुशी से ही लगाया तुम करो
जश्न रंगों का सभी मिल के मनाया तुम करो
दोस्त होते रूठने या फिर मनाने के लिए
एक छोटी सी शरारत से हँसाया तुम करो
फ़ालतू सी बात से तुम दूर बच्चों को रखो
झूठ ख़बरों से उन्हें यारों बचाया तुम करो
ख़्वाब में भी और दिल मे भी बसे ऐसे मेरे
इश्क़ का इज़हार करके फिर जताया तुम करो
इश्क़-ज़ादों पर भरोसा कौन करता आज कल
आशिक़ों को यार फिर भी मत सताया तुम करो
आग नफ़रत की हवा के ही बिना घर घर बहे
दफ़'अतन ही फिर हिफ़ाज़त से बुझाया तुम करो
ख़्वाब तारों से 'मनोहर' टूटते है रात को
फिर सितारों जैसे सपने ही सजाया तुम करो
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