जिस्म वाले तो फ़क़त बस पाँव चूमे

  - Neeraj Neer

जिस्म वाले तो फ़क़त बस पाँव चूमे
क्योंकि दिल उसका है जो ये घाव चूमे

कोई मुझको चूमना तो इस तरह से
प्यास ओढ़े गर नदी तो नाव चूमे

खैर ! मुझको धूप ने बोसे दिए हैं
रास्तों की ज़िद्द थी लेकिन छाव चूमे

दोस्त उसको छीनकर मुझसे मिला क्या?
आ मिरे हमराज़ तेरे दाव चूमे

बाद मजनूँ के ये 'वहशत' नीर में है
कौन वर्ना इश्क में पथराव चूमे
,
-नीरज नीर

  - Neeraj Neer

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