मुहब्बत वो है जिसमें यार ही अरमान हो जाए

  - Nityanand Vajpayee

मुहब्बत वो है जिसमें यार ही अरमान हो जाए
अगर हैवाॅं भी उल्फ़त कर ले तो इंसान हो जाए

सुधारस यार के अधरों से थोड़ा सा मिले गर तो
हमारे दिल का रेगिस्तान भी रसवान हो जाए

इन आँखों की मुक़द्दस झीलों में डूबूँ मैं सुब्ह-ओ-शाम
मेरी क़िस्मत को जो देखे वही हैरान हो जाए

कँवल जैसा तेरा चेहरा मेरे आँगन में जो हँस दे
तो मेरा घर ख़ुदा-रा घर नहीं गुलदान हो जाए

तसव्वुर में तुम्हें लाने से ही पुरनूर है ये दिल
अगर तुम सामने आओ तो नूरिस्तान हो जाए

मैं मरहून-ए-नवाज़िश में ख़ुदा से माँग लूँ तुमको
तो फिर दुनिया में मेरे इश्क़ की भी शान हो जाए

  - Nityanand Vajpayee

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