फटे हालात हैं ख़ुद पर हिमाकत कर रहा है वो

  - Nityanand Vajpayee

फटे हालात हैं ख़ुद पर हिमाकत कर रहा है वो
उगा आतंक की फसलें यूॅं जुर्रत कर रहा है वो

नहीं खाने को आटा है नहीं पीने को है पानी
मगर कश्मीर पर फिर भी शरारत कर रहा है वो

कुछ इक टुकड़ा दबाए है मेरे कश्मीर का अब भी
किए आवाम को क़ैदी जलालत कर रहा है वो

वहाॅं के लोग कुछ यूॅं हैं कि हों पिंजरे में ज्यों पंछी
कहे जाता मगर उनकी हिफ़ाज़त कर रहा है वो

गजब बोया है उसने ज़हर यूॅं कश्मीर के मन में
गज़ब फिरका-परस्ती की तिज़ारत कर रहा है वो

हमारे ही वतन के नित्य लोगों को सिखा आतंक
उढ़ा जहल-ए-मसऊद उनको जहालत कर रहा है वो

  - Nityanand Vajpayee

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