गर जो सूरत जैसी सीरत और मिली होती तुमको
फिर तो सबके दिल पे हुकूमत और मिली होती तुमको
माल-ओ-ज़र को कौन भला फिर गिनता और गिनाता जी
पागल उल्फ़त भर से शोहरत और मिली होती तुमको
दुनिया भर में तुमको बेशक़ जाना पहचाना जाता
प्यार अताई की गर क़ुव्वत और मिली होती तुमको
प्यार छपे उस परचम से पहचाने जाते तुम भी मियाँ
रब्ब-उल-कुल की सारी रहमत और मिली होती तुमको
और अगर इंसाँ की गर्दन काट न तुम बनते ख़ुदग़र्ज़
तब तो साईं इज़्ज़त-विज़्ज़त और मिली होती तुमको
अपनी बेईमानी से तुम बाज़ अगर आ जाते तो
नित्य सुनो रूहानी अज़मत और मिली होती तुमको
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