तपता सहरा है सो पाँव में दर्द है - pankaj pundir

तपता सहरा है सो पाँव में दर्द है
बुझ गए पेड़ अब छाँव में दर्द है  

हश्र मालूम था इश्क़ की बाज़ी का
खेल बैठा है दिल दाँव में दर्द है

यूँ कि इस रास्ते धूप है साएबान
मौसम-ए-हिज्र की छाँव में दर्द है

शाम से एक घर में धुआँ तक नहीं    
मर्ग-ए-नौ तारी है गाँव में दर्द है

सुब्ह के साथ सब काम पर चल पड़े
रात कहती रही पाँव में दर्द है

- pankaj pundir
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