मैं साफ़ बताता हूँ गुज़ारा नहीं होगा
फूलों पे अगर हक़ जो हमारा नहीं होगा
जिस दर्जा भरी बज़्म से ये उठ के गया है
तुम देखना ये चाँद तुम्हारा नहीं होगा
तुम जाओ ज़रा ठीक से मौसम का पता लो
सावन का महीना है फुहारा नहीं होगा
कब कौन बदल जाएगा कुछ कह नहीं सकते
छोड़ेगी मुहब्बत तो गुज़ारा नहीं होगा
बचपन में बनाते थे जो साड़ी का किनारा
कुछ भी बना होगा वो किनारा नहीं होगा
मैं वो नहीं जो दोस्त की आवाज़ न पाऊँ
तू ठीक से ऐ दोस्त पुकारा नहीं होगा
मैं मानता हूँ तुम भी बिछड़ने पे दुखी हो
जो हाल हमारा है तुम्हारा नहीं होगा
तुम भी कभी उलझी हुई तस्वीर से निकलो
इस दर्द-ए-मुहब्बत से गुज़ारा नहीं होगा
मौका लगे तो चाँद को दीवाना बनाऊँ
मैं वो नहीं जो प्यार दुबारा नहीं होगा
हूरों के बदन पे भी ज़रा इत्र लगाओ
राकेश का बच्चों से गुज़ारा नहीं होगा
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