यक़ीनन मुझे कुछ बड़ा सोचना है
यही सोचता हूँ कि क्या सोचना है
उसे याद कोई दिलाओ ये जाकर
कि वोटों का परदा हटा, सोचना है
ख़्यालात मेरे वहीं फिर रहे हैं
मैं कितना भी सोचूँ नया सोचना है
इशारों इशारों में सब कह चुका हूँ
तुम्हीं सोचो अब तुमको क्या सोचना है
सर-ए-राह कब तक यूँ बैठे रहोगे
वही शख़्स क्यों बारहा सोचना है
हमें शायरों में गिना जा रहा है
हमें आज से जा ब जा सोचना है
किधर से उगेगा, छिपेगा किधर को
सुख़नवर तुझे हर दिशा सोचना है
भला, सोचने में भी कैसा तक़ल्लुफ़
कोई सिर्फ़ कह दे ज़रा सोचना है
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