चराग़ ख़ुद ही बुझाया बुझा के छोड़ दिया
वो ग़ैर था उसे अपना बना के छोड़ दिया
हज़ार चेहरे हैं मौजूद आदमी ग़ायब
ये किस ख़राबे में दुनिया ने ला के छोड़ दिया
मैं अपनी जां में उसे जज़्ब किस तरह करता
उसे गले से लगाया लगा के छोड़ दिया
मैं जा चुका हूं मिरे वास्ते उदास न हो
मैं वो हूं तू ने जिसे मुस्कुरा के छोड़ दिया
किसी ने ये न बताया कि फ़ासला क्या है
हर एक ने मुझे रस्ता दिखा के छोड़ दिया
हमारे दिल में है क्या झाँक कर न देख सके
ख़ुद अपनी ज़ात से पर्दा उठा के छोड़ दिया
वो तेरा रोग भी है और तिरा इलाज भी है
उसी को ढूँड जिसे तंग आ के छोड़ दिया
वो अंजुमन में मिला भी तो उस ने बात न की
कभी कभी कोई जुमला छुपा के छोड़ दिया
रखूं किसी से तवक़्क़ो तो क्या रखूं 'शहज़ाद'
ख़ुदा ने भी तो ज़मीं पर गिरा के छोड़ दिया
Read Full