फूल की डालियों में रिबन बाँधिए
साँवली लड़कियों में सुख़न बाँधिए
रास्ते ख़ूबसूरत हैं मंज़िल से भी
पाँव में रास्तों की थकन बाँधिए
शायरों से हुनर हमको ये मिल गया
बैठकर के ज़मीं पे गगन बाँधिए
हम से दीवानों को आप बाँधेंगे क्या
बाँधना है तो पहले किरन बाँधिए
बाग़बाँ गुल की किसको ज़रूरत नहीं
एक दो गुल न पूरा चमन बाँधिए
यार 'राकेश' सचमुच बहुत तेज़ है
साँवली लड़कियों के नयन बाँधिए
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