समझते हो दुनिया बहुत ख़ू-ब-रू तुम
अभी जान घूमे नहीं चार-सू तुम
अभी हमसे कोई न वादा कराओ
अभी ज़िंदगी से नहीं रू-ब-रू तुम
तुम्हारे दिवाने बहुत होंगे लेकिन
हमारे नज़र की नहीं जुस्तजू तुम
मुझे ये बताते ख़ुशी हो रही है
कि फैले हुए हो सनम कू-ब-कू तुम
कि दो चार अक्षर तो हम भी पढ़े हैं
मियाँ इतने ज़्यादा नहीं बा-वज़ू तुम
बहुत ख़ू-ब-रू हो बहुत ख़ू-ब-रू हो
मगर यार मेरी नहीं जुस्तजू तुम
मुझे तुमको छूते पता लग गया था
कि उस दोपहर थे नहीं बा-वज़ू तुम
फ़क़त एक लड़की नहीं हो हसीं तुम
मेरी ज़िंदगी हो मेरी आबरू तुम
तुम्हें मैंने पाने में क्या कुछ न खोया
मेरे एक दिन की नहीं आरज़ू तुम
तुम्हें मैंने देखा है टूटे जिगर में
ख़ुदा आ भी जाओ न अब रू-ब-रू तुम
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