दिन भी शब भी जा भी बन सकता था
मैं सपने में कुछ भी बन सकता था
आखों में पानी तन पे मिट्टी था
मैं तो शायद जल भी बन सकता था
यादों की धुन सच कर पाता मैं तो
मेरा फिर जीवन भी बन सकता था
उसकी आखों का जा होने में मैं
बस एक खोया मन भी बन सकता था
ये भी वो भी ऐसा भी वैसा भी
मैं तो ' रौनक ' कुछ भी बन सकता था
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