जब तुम्हारी मोहब्बत में खो जाएँगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन सँवर जाएगी
लब तुम्हारी मोहब्बत में खो जाएँगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन सँवर जाएगी
तुम मेरे साथ हो चाँदनी रात हो होंठ की बात हो ज़ुल्फ़ की बात हो
तब तुम्हारी मोहब्बत में खो जाएँगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन सँवर जाएगी
हम नहीं चाँद तारे ये काली घटा ग़ुंचा-ओ-गुल ये बुलबुल ये महकी फ़ज़ा
सब तुम्हारी मोहब्बत में खो जाएँगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन सँवर जाएगी
मैं गुनहगार हूँ मैं सियह-कार हूँ फिर भी रहम-ओ-करम पर यक़ीं है मुझे
जब तुम्हारी मोहब्बत में खो जाएँगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन सँवर जाएगी
उम्र भर दर-बदर हम भटकते रहे अब तलक प्यार का कुछ निशाँ तक नहीं
अब तुम्हारी मोहब्बत में खो जाएँगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन सँवर जाएगी
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