ये सब कहने से होता कुछ नहीं है
उसे लगता था दुनिया कुछ नहीं है
तेरी जानिब से ख़ुद को देखना है
तेरी जानिब से दिखना कुछ नहीं है
मुझे लगता है दुनिया है मोहब्बत
अभी सोचूँगा सोचा कुछ नहीं है
मोहब्बत चार दिन की रौशनी है
मोहब्बत का भरोसा कुछ नहीं है
मेरे बारे में सबसे पूछ लेना
मेरे बारे में अच्छा कुछ नहीं है
सभी कहते हैं कोई बात तो है
मुझे लगता है ऐसा कुछ नहीं है
गुमाँ हस्ती का है तो बद-गुमाँ हूँ
कि दरिया सब है क़तरा कुछ नही है
यही जाना कि जाना कुछ नहीं है
यही समझा समझना कुछ नहीं है
तुम्हें होना था आख़िर पास मेरे
लो मेरे पास होना कुछ नहीं है
मेरी आँखों में देखे ग़ौर कर के
मेरी आँखों में दिखना कुछ नहीं है
तुम्हें आना है मेरी क़ब्र पर भी
कि सब चलना है रुकना कुछ नहीं है
ज़रा नाशाद तो हैं माहो-अंजुम
तबाही है पर उतना कुछ नहीं है
तेरी शोख़ी मेरे अशआर ‘सारुल’
मिटी जानी है बचना कुछ नहीं है
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