इक मुहब्बत की मात हो गई है
इक दुल्हन की वफ़ात हो गई है
अब नहीं डूबेगी कोई सोहनी
मेरी दरिया से बात हो गई है
दिल !! मुहब्बत से बाज़ आएगा
तेरी इतनी बिसात हो गई है
एक तस्वीर क्या हटाई गई
मेरे कमरे में रात हो गई है
अब मैं शादाब नाम भर का हूॅं
ज़ात बे मअनी ज़ात हो गई है
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