कभी तुम्हारा था वो नहीं था हटाओ छोड़ो - Shamim Abbas

कभी तुम्हारा था वो नहीं था हटाओ छोड़ो
घिसा-पिटा वाक़िआ कभी का हटाओ छोड़ो

अगर नहीं वो नहीं सही कौन सी कमी है
यही ना ये सूना-पन ज़रा सा हटाओ छोड़ो

तो उसके बिन मर मिटोगे सच मुच नहीं जियोगे
ये बैन आह-ओ-बुका तमाशा हटाओ छोड़ो

ठहरना कुछ सोचकर पलटना उसी को तकना
जो खोया पाया जो है बक़ाया हटाओ छोड़ो

न वो थी लैला न क़ैस तुम हो समझ गए ना
ये रोग़ कब है तुम्हारे बस का हटाओ छोड़ो

मेरी ही मानिंद मेरी तरह गुज़ार लोगे
वो हाल कर लोगे जो है मेरा हटाओ छोड़ो

- Shamim Abbas
0 Likes

More by Shamim Abbas

As you were reading Shayari by Shamim Abbas

Similar Writers

our suggestion based on Shamim Abbas

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari