याद है जब हम मिला करते थे
कितनी बाते किया करते थे
एक दूजे को पकड़ा करते थे
बे - इजाजत छुआ करते थे
तुम बेंच रोका करती थी सुबह
फिर साथ मे बैठा करते थे
कितने बे - बाक हो जाते थे हम
जब एक दूजे को देखा करते थे
नींद आती थी उस पेड़ के नीचे
हाथ पकड़कर सोया करते थे
याद है तुमको हँसाने के वास्ते
हम बच्चों जैसे रोया करते थे
रोज कसमे तोड़ा करते थे हम
रोज नया वादा लिया करते थे
याद है उस टपरी पे बारिश में
हम ठंडी चाय पिया करते थे
मैं तुमको देखा करती थी फिर
तुम मुझसे नजरे फेरा करते थे
मैं छत पर सज कर खड़ती थी
तुम मेरी गली में आया करते थे
मेरी आंख से आँशु गिरने लगते थे
जब तुम छोड़ के जाया करते थे
मैं तुमको करन पुकारा करती थी
तुम मुझको पागल कहा करते थे
याद है जब हम मिला करते थे
कितनी बाते किया करते थे
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