तुम्हारी रज़ा में हमारी रज़ा है तुम्हें ये पता है
तुम्हारा ख़ुदा ही हमारा ख़ुदा है तुम्हें ये पता है
जो गुज़रा था हम पे कभी हादसा वो जिगर में छुपा था
वही हादसा अब उभरने लगा है तुम्हें ये पता है
कि जिस के सबब हीर रांझा ज़माने के दुश्मन बने थे
उसी इश्क़ का भूत तुम पर चढ़ा है तुम्हें ये पता है
फ़क़त एक हम ही जहाँ से अलग हो के ज़िंदा नहीं हैं
तुम्हें भी जहाँ से छुपा के रखा है तुम्हें ये पता है
तुम्हारी तरफ़ शाम होते ही अब तो क़दम चल पड़े हैं
तुम्हारी निगाहों में इक मय-कदा है तुम्हें ये पता है
तुम्हें लग रहा है तुम्हारे सितम पर नज़र ही नहीं है
मुसलसल ख़ुदा भी तुम्हें देखता है तुम्हें ये पता है
पुराने ख़यालों को 'सोहिल' रफ़ू कर रहे हो फ़क़त तुम
जो तुम ने लिखा है वो सब लिख चुका है तुम्हें ये पता है
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