कहीं तुम्हारा न दिल लगेगा तो क्या करोगे
कोई तुम्हारी न इक सुनेगा तो क्या करोगे
ख़मोश हैं हम कि वज्ह है कुछ मगर किसी दिन
कोई तुम्हें भी बुरा कहेगा तो क्या करोगे
अगरचे सब कुछ है ठीक लेकिन कभी कहीं पर
जो काम कोई नहीं बनेगा तो क्या करोगे
जहाँ में कोई हमारे जैसा नहीं है दूजा
किसी पे गर बस नहीं चलेगा तो क्या करोगे
अभी तो महफ़िल में लोग हैं कुछ तो है ये रौनक़
क़रीब कोई नहीं रहेगा तो क्या करोगे
बुरा समय है जो आज हम पर हँसे हो तुम भी
अगर तुम्हें भी समय ठगेगा तो क्या करोगे
सितम जो तुमने किए हैं हम पर ये फ़र्ज़ कर लो
तुम्हें भी इसका सिला मिलेगा तो क्या करोगे
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