जो चाहते थे हम वही अक्सर न हो सका
छूकर निकल गया वो मयस्सर न हो सका
वादा न निभ सका न मुहब्बत ही हो सकी
हमसे तो कोई काम समय पर न हो सका
हम से दिलों के साथ भी खेला नहीं गया
हम से हिसाब तक तो बराबर न हो सका
सोचा था तेरे बाद ये बे-हिस हो जाएगा
ये दिल है अब तलक भी जो पत्थर न हो सका
वो काम जो ख़ुशी ख़ुशी करते थे हम कभी
इस बार तो वो काम घड़ी-भर न हो सका
क्या ख़ूब ख़्वाब थे कि बसर होगी साथ में
पर असलियत में वो कभी मंज़र न हो सका
काँसा न थाम पाया मैं रुसवाइयों से डर
ऐसा फ़कीर हूँ मैं जो दर-दर न हो सका
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