सब बराबर करना है तो फिर तू मुझको ये बता
बदले में तुझपर यकीं के मुझको आख़िर क्या मिला
दोनों की मर्ज़ी थी शामिल दोनों ने वादे किए
फिर बिछड़ने पर मिलेगी क्यों फ़क़त इक को सज़ा
तुम हो अच्छे लोग सो अब तुम दुआएँ दो उसे
जब भी उसकी बात होगी मैं तो दूँगा बद्दुआ
साथ में मिलकर चलो फिर से गुज़ारें ज़िन्दगी
कम सुनाई दे रही है फिर से बोलो क्या कहा
कुछ नहीं बदला ज़माने के बदल जाने से भी
फ़िर से इक डोली उठी फिर शख़्स इक पागल हुआ
मैं नुजूमी तो नहीं हूँ पर बता सकता हूँ मैं
तू है जितना ख़ूबसूरत उतना ही है बेवफ़ा
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