तेरी गली में तो जाने का हौसला ही नहीं
करूँ मैं ज़ख्म हरे फिर से सोचता ही नहीं
अजीब राह है जिस पर हमें है जाना मगर
कोई क़रीबी हमें आ के रोकता ही नहीं
कि तेरे बाद तो हम साथ साथ सब के गए
वो और बात है ये दिल मिरा गया ही नहीं
वो शख़्स जो सदा आँखों में है समाया हुआ
मिला तो कह दिया मैं तुमको जानता ही नहीं
ज़रा सा और दो ये दर्द कम पड़ा है मुझे
कि साँस चल रही है अब भी मैं मरा ही नहीं
रुके हुए थे इशारे पे एक जिसके वो फिर
ये कह के चल दिया मुझसे मैं तेरा था ही नहीं
बताया हिज्र के बारे में चारागर ने मुझे
ये मर्ज़ ऐसा है जिसकी कोई दवा ही नहीं
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