दास्ताँ ख़त्म होने वाली है
ख़्वाब आँखों में हमने पाली है
चाँद पर दाग़ होना लाज़िम है
रात मेरी वजह से काली है
वो अगर चाह ले तो सब कुछ हो
बात उसकी किसी ने टाली है
मैं मोहब्बत समझ रही तेरी
ये मोहब्बत भी तेरी ज़ाली है
ज़िंदगी मौत के बराबर है
सबने आँखों में धूल डाली है
मैं पुकारूँ कभी चले आना
हाँ तुम्हारी जगह ये ख़ाली है
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