ख़्वाब मेरी बात सुन मंज़र बनाना छोड़ दे
अब तो उसकी गोद में तू सर बनाना छोड़ दे
याद लड़ने के लिए फिर से अकेली आ गई
अश्क से जाकर कहो लश्कर बनाना छोड़ दे
एक से मन भर गया फिर दूसरा तैयार है
जिस्म है बेटे इसे दफ़्तर बनाना छोड़ दे
खेल कर फिर तोड़ देता है खिलौने की तरह
दिल धड़कता है उसे पत्थर बनाना छोड़ दे
बिन कहे इज़हार हो सकता है बस इज़हार कर
आँख उससे बात कर फ़्यूचर बनाना छोड़ दे
इश्क़ थपकी माँगता है काम बारीकी यहाँ
है कोई लोहार तो ज़ेवर बनाना छोड़ दे
ख़त की कश्ती पर चढ़े अल्फ़ाज़ सब मारे गए
सुन ज़रा इंजीनियर पेपर बनाना छोड़ दे
इस तरह दिल में बसो वो चहचहाने भी लगे
है अगर मकड़ी कोई तो घर बनाना छोड़ दे
'दिव्य' सोशल मीडिया पर बस दिखावा चल रहा
ज़िन्दगी है ये इसे पिक्चर बनाना छोड़ दे
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