हैवानियत आँखों में सबके पलती है - Lalit Mohan Joshi

हैवानियत आँखों में सबके पलती है
ये रात देखो क्यों नहीं फिर ढलती है

गुम हो गई लड़की या कोई ले गया
फिर आँख दुनिया देखो कैसे मलती है

लड़की के हिस्से क्यों यहाँ दुख आ गया
लड़की से ही दुनिया ये सारी फलती है

बेखौफ़ चलते है दरिंदे सड़कों पर
चुप लोग घर बैठे ये उनकी ग़लती है

इक मनचला आया कहीं से देखो फिर
तेज़ाब से लड़की तो फिर क्यों जलती है

वो चीखती रोती रही कितना सुनो
सरकार सबको फिर यहाँ क्यों छलती है

पर्दा गुनाहों पर यक़ीनन हो रहा
मासूम लड़की आग में क्यों जलती है

- Lalit Mohan Joshi
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