मुझे प्यार पाना तो शायद नहीं था - Lalit Mohan Joshi

मुझे प्यार पाना तो शायद नहीं था
यहाँ पर मैं इतना भी ख़ुश-क़द नहीं था

जो सुलझा सके उलझनों को यहाँ सब
मैं ऐसा तो कोई भी अरशद नहीं था

सुनो ध्यान से सब मेरी बात तो तुम
मुझे ग़म मिला तो मैं औहद नहीं था

तक़ी मीर जी ने लिखा क्या ग़ज़ब का
कभी भी कोई उनके हम-क़द नहीं था

जो दुनिया को सच में बदल जाए ऐसा
मैं रस्ते का कोई तो मुर्शद नहीं था

गिरा रास्तों पर ग़मों को यूँ सहते
तो शायद मिरा फिर सही-क़द नहीं था

- Lalit Mohan Joshi
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