बड़े ही प्यार से मय्यत सजानी पड़ती है
सजा के जिस्म को ख़ुशबू लगानी पड़ती है
ये तख़्त क्या है यहाँ पर ज़मीर बिकता है
हर एक चीज़ की क़ीमत लगानी पड़ती है
वो इतने प्यार से सीने से लग के कहती है
हो महँगी चीज़ या सस्ती दिलानी पड़ती है
तुम्हारे साथ तो चलते हैं ना-ख़ुदा कितने
हमें तो ख़ुद ही ये किश्ती चलानी पड़ती है
हमारे दौर में मुआफ़ी से मान जाते थे
तुम्हारे दौर में क़ीमत चुकानी पड़ती है
तुम्हारे मुल्क का नाज़िम ये हाल कैसा है
हो काम कोई भी रिश्वत खिलानी पड़ती है
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