दिल तो शीशा था टूट जाना था

  - Praveen Sharma SHAJAR

दिल तो शीशा था टूट जाना था
हमको तो आँसू ही बहाना था

उनकी नज़रें थीं दुश्मनों की ओर
मेरे दिल पर मगर निशाना था

मरते-मरते हमें ख़याल आया
ज़िंदगी थी कि ये फ़साना था

हमने वो ख़्वाब कर दिए मिट्टी
जिनकी तामीर इक ख़ज़ाना था

हम तो गुमनाम हो गए हैं ख़ुद
हमने कुछ ढूँढ कर दिखाना था

आपका ही क़ुसूर है सारा
आपको ही तो दिल लगाना था

अब तो ख़ुद पर यक़ीं नहीं हमको
कल तलक पुर-यक़ीं ज़माना था

हमको करनी थी रौशनी यूँ भी
अपनी क़िस्मत में जल ही जाना था

आपसे अब भला शिकायत क्या
आपने अपना रंग दिखाना था

  - Praveen Sharma SHAJAR

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